आर्य कॉलेज की एन.एस.एस इकाई के द्वारा 5 जून का विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कॉलेज प्रांगण में विभिन्न प्रकार के पौधों का रोपण कर यह दिवस मनाया गया। कॉलेज प्राचार्य डॉ. जगदीश गुप्ता ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्लास्टिक को हम कचरा समझ कर कूड़े में फेंक देते हैं, असल में वही कूड़ा हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है और हमें खतरे में डाल रहा है। यही कारण रहा कि जनजीवन को सुरक्षित रखने के लिए जरूरत महसूस हुई विश्व पर्यावरण दिवस की. प्रत्येक वर्ष आज ही की तारीख यानी 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है. जिसका उद्देश्य दुनिया में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण और प्रकृति को हो रहे नुकसान पर लगाम लगाना है. हमारे पर्यावरण को सुरक्षित और संरक्षित रखने के लिहाज से विश्व पर्यावरण दिवस पर हर साल एक खास थीम रखी जाती है, ऐसे में इस साल की थीम है आधुनिकता के इस दौर में हमें और हमारी प्रकृति को प्लास्टिक प्रदूषण से हो रहे नुकसान पर केंद्रित करना है। मौजूदा वक्त की बात की जाए तो, भारत सहित कई अन्य देशों ने भी सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह से प्रतिबंधित लगा दिया है. बावजूद इसके हमें इस तरह के प्लास्टिक बाजारों में आसानी से नजर आ जाते हैं. आज से करीब 116 साल पहले हुए प्लास्टिक की इस खोज ने आज हमारी संपूर्ण जगत का अस्तित्व ही खतरे में डाल दिया है. मिली जानकारी के मुताबिक पूरी तरह से जीवाश्म ईंधन पर निर्भर प्लास्टिक के उत्पादन में कई तरह के नुकसानदायक पदार्थ मिलते हैं, जो हमारे और जनजीवन सहित पूरे पर्यावरण के लिए हानिकारक है. जिस प्लास्टिक को हम कचरा समझ कर कूड़े में फेंक देते हैं, असल में वही कूड़ा हमारे पर्यावरण को दूषित कर रहा है और हमें खतरे में डाल रहा है। अंत में उन्होंने बताया कि आज कॉलेज प्रांगण में नीम, चकरसिया व एल्सटोनिया के पौधे लगाए गए। एन.एस.एस इकाई के समन्वयक प्रो. विवेक गुप्ता ने बताया कि हम आज पूरी तरह से प्लास्टिक से घिरे हुए हैं. हमारे घरों में पानी की बोतल से लगाकर बाल्टी तक, ब्रश से लगाकर टूथपेस्ट तक, बाजारू चीजों से लगाकर घरेलू सामान तक, सब कुछ या तो प्लास्टिक से बना हुआ है या फिर उससे कवर है. हालांकि इनमें से कुछ प्लास्टिक जरूर रिसाइकल हो जाता है, मगर कुछ हमें और हमारे पर्यावरण को दूषित भी करते हैं। इसलिए हमें केवल पर्यावरण दिवस पर ही नहीं अपितु हर अच्छे अवसर पर पेड़ पौधे लगाने चाहिए। इस अवसर पर डॉ. रामनिवास, प्राध्यापिका मिनाक्षी चौधरी डॉ. मनीषा डुडेजा के साथ-साथ एन.एस.एस के स्वयंसेवक भी मौजूद रहे