Arya P.G. College, Panipat

'खाद्य मिलावट' विषय पर हुआ राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन


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आर्य स्नातकोत्तर महाविद्यालय में आइ.क्यू.ए.सी व एफ. डी.पी सेल के संयुक्त तत्वावधान में 'खाद्य मिलावट' पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। वेबीनार में बतौर मुख्य प्रवक्ता राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी उद्यमशीलता एवं प्रबंधन संस्थान, कुंडली हरियाणा के युवा शोधकर्ता अभिमन्यु गौर रहे। प्राचार्य डॉ.जगदीश गुप्ता ने ऑनलाइन वेबीनार के सफल आयोजन के लिए प्राणी शास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ गीतांजलि धवन सहित अन्य स्टाफ सदस्यों को बधाई दी और मुख्य वक्ता का स्वागत कर आभार व्यक्त किया। प्राणीशास्त्र की विभागाध्यक्षा डॉ.गीतांजलि साहनी धवन ने बताया कि वेबीनार के माध्यम से युवा व वृद्धों को हमारे रोजमर्रा में प्रयोग होने वाली खाद्य सामग्री जैसे दालें, घी, फल, सब्जियां, दूध, आइसक्रीम आदि में मिलावट करने वाले घातक रसायनों, कृत्रिम रंगों, स्टार्च मैटानिल के दुष्परिणामों से अवगत कराया गया। मुख्य प्रवक्ता अभिमन्यु गौर ने बताया कि फूड अडलस्ट्रेशन एक अपराध है, इसके लिए सजा दी जानी चाहिए यदि व्यापार में मुनाफा कमाने के लिए उद्योगी हानिकारक चीजों की मिलावट करता है या सड़ा हुआ भोजन अथवा किसी बीमार जानवर से प्राप्त खाद्य सामग्री बेचता है तो वह मनुष्य स्वास्थ्य से खिलवाड़ कर जघन्य अपराध का दोषी है। उन्होंने प्रयोगशाला में होने वाले सभी वह टेस्ट दिखाए जो हम घर पर ही करके शहद, हल्दी, खाद्य तेल, चीनी, नमक, सूजी, बेसन, काली मिर्च, चाय, चावल इत्यादि प्रतिदिन प्रयोग होने वाली खाद्य सामग्री में मिलावट वाली चीजों को पकड़ सकते है। उन्होंने बताया कि लैड करोमेट, मेटानिल, यूरिया, कोलतार डाई, आरजीमान तेल घातक मिलावटी रसायनिक पदार्थ है। कच्चा केला,आम पकाने के लिए प्रयोग होने वाले कैलशियम कारबाइड व  पोटैशियम मैटाबाईसल्फाइट कैंसर करने वाले कारसिनोजन है। विभागाध्यक्षा डॉ. गीतांजलि धवन ने महाविद्यालय की प्रबंधक समिति, प्राचार्य डॉ.जगदीश गुप्ता, आइ.क्यू.ए.सी कोऑर्डिनेटर प्रो.सतबीर सिंह, फैकल्टी डेवलपमेंट सेल के प्रभारी पंकज चौधरी सहित उपस्थित सभी गणमान्य व्यक्तियों का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि आज के बदलते डिजिटल युग में माइक्रोसॉफ्ट टीम, जूम, टेलीग्राम जैसे प्लेटफार्म उपलब्ध करवाकर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं व प्रवक्ताओं से अपने व्याख्यानों व संज्ञान के आदान-प्रदान का अवसर मिल रहा है। डॉ. गीतांजलि धवन ने बताया कि हमें सरकार द्वारा प्रमाणित एफ.एस.एस.ए.आई, एगमार्क, बी.आई.एस व फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड एक्ट 2006 के तहत दी जाने वाली सजाओं के प्रति जागरूक रहना चाहिए। आज का युवा शोधकर्ता वन्य जीव संरक्षण की बजाय मानव सरंक्षण की तरफ ध्यान दें नहीं तो हम भी पशु-पक्षियों की तरह प्रलुप्त जातियों की गणना में आ जाएंगे। इस राष्ट्रीय वेबीनार में डॉ. हरविंदर कौर , डॉ.संतोष टिक्कू, डॉ.अनुराधा, डॉ.मधु गाबा, डॉ.मिनल, प्रो. नवदीप, प्रो.विकास काठपाल, प्राध्यापिका कीर्ति, काजल सहित अन्य स्टाफ सदस्य मौजूद रहे।